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dil ki mahfil
urdu/hindi gazal sher-o-shayari
शनिवार, 13 जून 2009
मेरी
जान
आज
का
ग़म
न
कर
,
कि
न
जाने
कातिबे
-
वक्त
ने
किसी
अपने
कल
में
भी
भूल
कर
,
कहीं
लिख
राखी
हों
मसर्रतें
.
फैज़
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well come
well come
दिल की महफ़िल में आप सबका स्वागत है |मेरा ये ब्लॉग आपको उन पुरानी गलियों में लिए चलने का एक प्रयास है ,जिन्हे हम वक़्त की आपाधापी में भूल चुके हैं .इस के अलावा उस बेहतरीन शायरी से आपका परिचय कराना है जिसे में बहुत पसंद करती हूँ |
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मेरी जान आज का ग़म न कर ,कि न जाने कातिबे -वक्त न...
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मेरे बारे में
सीमा रानी
पेशे से पुलिस ,धर्म से मनुष्य ,शरीर से स्त्री ,मन से उभयलिंगी और स्वभाव से प्रेमी .
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