दोस्तों ,
पहले तो आप सभी को नए साल की बहुत- बहुत मुबारकबाद .
बहुत दिनों से दिल की महफ़िल में आना नहीं हुआ ,दरअसल हम जब दुनियावी परेशानियों में परेशान रहते है तो दिल की महफ़िल आबाद नहीं हो पाती है .इस नए साल में कोशिश रहेगी की आप सभी से लगातार मुलाक़ात होती रहे .इसी सिलसिले में एक ताज़ा ग़ज़ल पेश है .अपने कमेन्ट जरूर दें और कमियों को भी बताएं ताकि शायरी में और निखर आ सके ।
मेरा नहीं हुआ वो ,ये ग़म नहीं है मुझको ।
अफ़सोस ये के अब वो ,किसी का ना हो सकेगा ।
सब रंज ओ ग़म भुलाकर ,उसको गले लगाकर
रोया हूँ आज जितना ,कोई और रो सकेगा ?
जाने कितने ग़म मिले हैं ,मुझको हंसी के बदले
मैं क्या करूँ के मुझसे रोना ना हो सकेगा ।
मैली ही क्यों करें अब ,चादर कबीर की हम
जब जानते हैं हमसे ,धोना ना हो सकेगा ।
पाया है जबसे तुझको ,तुझमें ही खो गया हूँ
अब और कुछ भी पाना ,खोना ना हो सकेगा ।
सीमा
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svaagat
जवाब देंहटाएंवो बहुत ही पहले सुना था...कि दिल से जो बात निकलती है असर रखती है...आज आपकी नयी रचना में एक बार फिर ये बात हकीकत में ढलती हुयी देख ली....नया साल आपकी प्रतिभा को पूरी दुनिया में रोशन करे...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गज़ल, नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंमैली ही क्यों करें अब,चादर कबीर की हम
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा है
स्वागत !
लेखन की हथकडी़ को और धारदार बनाती चलें
कृ्पया शब्द पुष्टिकरण हटालें ताकी टिप्प्णी करने में आसानी हो जाये
good nazm...welcome in blog world...keep it up....and continue your writing
जवाब देंहटाएंबढ़िया शुरूआत है.....नये साल की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएंwelcome..........!!
जवाब देंहटाएंपाया है जबसे तुझको ,तुझमें ही खो गया हूँ
जवाब देंहटाएंअब और कुछ भी पाना ,खोना ना हो सकेगा ।
बहुत खूब सीमा जी...भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए बधाई...
नीरज
मैली ही क्यों करें अब ,चादर कबीर की हम
जवाब देंहटाएंजब जानते हैं हमसे ,धोना ना हो सकेगा ।
gzl mei bahut pate ki baat
kahi hai aapne...
har sher apni baat keh rahaa hai.
badhaaee .
bahut khoob.badhaai ho.
जवाब देंहटाएंaap thoda color font color ka sahi upyog kare jise pdhne me asani ho.
www.sometimesinmyheart.blogspot.com
आपके इस ब्लॉग पर शायद पहली बार आया हूँ. आने वाले नए साल में कुछ नयी पंक्तियाँ पढने को मिले.
जवाब देंहटाएंकम से कम शायरी का दौर जारी रहे.
बहुत खूब - सार्थक ग़ज़ल - नव वर्ष की मंगल कामना
जवाब देंहटाएंविशेष:
"मैली ही क्यों करें अब,चादर कबीर की हम
जब जानते हैं हमसे, धोना ना हो सकेगा"
मैली ही क्यों करें अब ,चादर कबीर की हम
जवाब देंहटाएंजब जानते हैं हमसे ,धोना ना हो सकेगा ।
पाया है जबसे तुझको ,तुझमें ही खो गया हूँ
अब और कुछ भी पाना ,खोना ना हो सकेगा ।
waah waah bahut khoob
behtareen likha hai aapne
bahut achha laga
badhaayi
aabhaar