मित्रों ,
डॉक्टर बशीर बद्र का नाम हर उस इन्सान के लिए जाना पहचाना है जिसे शायरी में ज़रा भी दिलचस्पी है .बद्र साहब के कुछ शेर तो इतने लोकप्रिय हैं की आम लोग भी उनका बातों में प्रयोग करते है जैसे -
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो ,
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए ।
और
मुसाफिर हैं हम भी ,मुसाफिर हो तुम भी ,
किसी मोड़ पर फ़िर मुलाक़ात होगी ।
इसी तरह के कई शेर है .हमें गर्व है की बद्र साहब हमारे शहर की शान हैं .यूँ तो मुझे उनकी कई गज़लें पसंद हैं पर सबका यहाँ होना मुमकिन नही पर मेरी पसंदीदा ग़ज़लों में से एक आपकी खिदमत में पेश है -
अब किसे चाहें किसे ढूंढा करें ,
वो भी आखिर मिल गया अब क्या करें ।
हलकी -हलकी बारिशें होती रहें ,
हम भी फूलों की तरह भीगा करें ।
दिल, मोहब्बत ,दीन,दुनिया ,शायरी ,
हर दरीचे से तुझे देखा करें ।
आँख मूंदे उस गुलाबी धूप में ,
देर तक बैठे उसे सोचा करें ।
घर नया ,बर्तन नए ,कपड़े नए ,
इन पुराने कागजों का क्या करें ।
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Badiya , Isi sher ki saath alvida kahoonga:
जवाब देंहटाएंमुसाफिर हैं हम भी ,मुसाफिर हो तुम भी ,
किसी मोड़ पर फ़िर मुलाक़ात होगी ।
(waise musafir ki jagah blogger or mod ki jagah post ya blog bhi ho sakta hai...)
Bashir Badr sahab ki khoobsurat ghazal
जवाब देंहटाएंke liye dheron abhivaadan svikaareiN.
---MUFLIS---
आँख मूंदे उस गुलाबी धूप में ,
जवाब देंहटाएंदेर तक बैठे उसे सोचा करें ।
sundar bhaav...vidhu
दिल, मोहब्बत ,दीन,दुनिया ,शायरी ,
जवाब देंहटाएंहर दरीचे से तुझे देखा करें ।
आँख मूंदे उस गुलाबी धूप में ,
देर तक बैठे उसे सोचा करें ।
waah...!!
Bashir ji ki gazal padhvane ke liye shukariya......!!
bahut badiaya. basheer sahab se unki rachana ke jariye mulakat karwane ka bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंmere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi aayen.
आपके ब्लॉग पर आ कर लगता है कमरे में उजाला भर गया है...लेकिन आप बहुत कम लिखती पोस्ट करती हैं...बद्र साहेब की ग़ज़ल पढ़वाने का शुक्रिया...हम उनके पुराने प्रशंशंक हैं और उन्हें कई मुशायरों में सुन चुके हैं...
जवाब देंहटाएंनीरज
'us gulaabee dhoop kaa kyaa vaakyaa koee kahe,
जवाब देंहटाएंshyam'apane darmiyaan thee us ajaanee shaam ko.